कुँवर कुसुमेश के दोहे  - दोहा कोश

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गुरुवार, 12 जनवरी 2023

कुँवर कुसुमेश के दोहे 

कुँवर कुसुमेश के दोहे 

राजनीति में घुस गए, कुछ अपराधी लोग।
करें जुर्म के वास्ते, कुर्सी का उपयोग।।

जाने कैसा आ गया, भारत में भूचाल।
नेता माला माल हैं, जनता है कंगाल।।

जिसने जीवन भर किये, जुर्म बड़े संगीन।
ऐसे भी कुछ हो गए, कुर्सी पर आसीन।।

किसको छोड़ें और हम, किस पर करें य$कीन।
राजनीति में दिख रहे, सभी आचरण हीन।।

कुछ नेता कुछ माफिया, कर बैठे गठजोड़।
धीरे धीरे देश की, गर्दन रहे मरोड़।।

अपराधों में लिप्त हैं, नाम सच्चिदानंद।
टाटों में दिखने लगे, रेशम के पेवन्द।।

पतझड़ है तो क्या हुआ, नहीं छोडिय़े आस।
मन कहता है एक दिन, आयेगा मधुमास।।

चीख-चीख कर कह रहे, सारे पेड़, पहाड़।
हमें काटकर मत करो, कुदरत से खिलवाड़।।

छतरी में ओजोन की, जब से हुआ सुराख।
वैज्ञानिक चिन्तित हुए, लगी दाँव पर साख।।

भारत की भी हो गई, नाभिकीय पहचान।
एटम-बम का हो गया, जब से अनुसंधान।।

सागर में घुलने लगा, कूड़ा-कचरा-राख।
इनके कारण मर रहे, जलचर लाखों लाख।।

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