कृष्ण कुमार ‘कनक’ के दोहे  - दोहा कोश

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शनिवार, 14 जनवरी 2023

कृष्ण कुमार ‘कनक’ के दोहे 

कृष्ण कुमार ‘कनक’ के दोहे 

घर की हर दीवार पर, छापे शुभ संदेश।
पर दिल की दीवार से, कभी न मिटे कलेश।।

जाति धर्म के नाम पर, लड़ते हैं हर बार।
आओ बैठें, बाँट लें, आपस में हम प्यार।।

सुनकर मेरी बात वो, बैठ गया जा दूर।
कम्पित कर जब थिर हुए, बिखर गया सिंदूर।

शब्दों में भरते रहे, मधु से मधुर मिठास।
अपनों ने ही लूटकर, तोड़ दिया विश्वास।।

अपने घर में खोजने, निकला हूँ सम्मान।
इस जग ने कितना दिया, ठीक नहीं अनुमान।।

तेरे हर संदेश का, फाड़ दिया हर पेज।
हृदय कोठरी में रखा, पहला पत्र-सहेज।।

अपने मन को जीतकर, जिसने छेड़ी जंग।
जग में उसी चरित्र के, गाये गये प्रसंग।।

घर से चल कर दो कदम, भूल गये आदर्श।
निज अश्कों से ही मिला, गीला उनका फर्श।।

तन में अतिशय पीर थी, मन में चीख पुकार।
तन से मन तक आ गये, उनके प्रबल प्रहार।।

नभ मंडल में एक दिन, हमने डाली दृष्टि।
हमने देखी चाँद पर, विकसित होती सृष्टि।।


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