मोहन पुरी के दोहे  - दोहा कोश

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शनिवार, 14 जनवरी 2023

मोहन पुरी के दोहे 

मोहन पुरी के दोहे 

चल-चल आये थार में, पानी भरे जहाज।
टीबों-टीबों रेत ने, गा-गा किया रियाज।।
2
खुद अपनों ने छल किया, चल-चल कर नित दावँ।
बूढ़े बरगद कट रहे, गमले बाँटें छाँव।।
3
पुरवा घूमे हर डगर, झूमे सारा देश।
पढ़-पढ़ गायें बदलियाँ, बूँदों का संदेश।।
4
झूठा सुख वैताल-सा, रचता झूठे फंद।
मुस्कानों में लग रहे, नित झूठे पैबंद।।
5
विधना भी हैरान है, उसकी हालत देख।
क्यों हलधर के भाग्य का, बदल न पाया लेख।।
6
नैहर आई बेटियाँ, रंग खिले तस्वीर।
बूढ़ा पीपल गा उठा, भर आँखों में नीर।।
7
सूने में संगीत का, सजा रहे आलाप।
घर आयेंगी बेटियाँ, राह तकें माँ-बाप।।
8
पीडि़त को सम्बल मिले, छेड़े कौन मुहीम।
सब अपने ही स्वार्थ के, बनते आज मुनीम।।
9
काजल काजल में घुला, मिटा भेद का भेद|
छुप खादी में हो गए, कौवे सभी सफ़ेद||
10
झालर घंटा आरती, गूंजी दूर अजान|
अम्बर घिरती साँझ ने, छत पर रखी थकन||

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