डॉ. शिवओम 'अम्बर' के दोहे - दोहा कोश

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शनिवार, 14 जनवरी 2023

डॉ. शिवओम 'अम्बर' के दोहे

डॉ. शिवओम 'अम्बर' के दोहे

रहें सीखते विज्ञजन, सारी उम्र हिसाब|
ढाई आखर पढ़ रखी, हमने परे किताब||

भरे कलश में देह के, क्षीर-सिन्धु-सा रूप|
बैठी है वट के तले, घूंघट काढ़े धूप||

अग-जग को बांधे मिला, उनका शासन तंत्र|
बच्चों के तुतले वचन, वशीकरण के मंत्र||

विदा हुई तो कर गई, घर को अँधा कूप|
बेटी आँगन में खिली, मार्गशीर्ष की धूप||

छलक उठा जब छंद में, मीरा का उन्माद|
आखर-आखर में बंधा, खुद ही अनहद नाद||

पोर-पोर शर से बिंधे, धीर भीष्म के वक्ष|
तन से बांधे व्याल हम, चन्दन के समकक्ष||

शब्दों में कैसे बंधे, सीता का संत्रास|
रावण ने दी वाटिका, राघव ने वनवास||

आँगन-आँगन है यहाँ, नागफनी की पौध|
लिखे कहाँ पर बैठकर, 'प्रियप्रवास' हरिऔध||

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