रहीम के दोहे  - दोहा कोश

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गुरुवार, 12 जनवरी 2023

रहीम के दोहे 

अब्दुर्रहीम खानखाना के दोहे 

बड़े बड़ाई ना करैं, बड़े न बोलें बोल|
रहिमन हीरा कब खे, लाख टका है मोल||

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय|
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ पर जाय||

एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय|
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूले फलै अघाय||

कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन|
जैसी संगति बैठिये, तैसोई फल दीन||

काज पर कुछ और है, काज सरे कछु और|
रहिमन भंवरी के भये, नदी सिरावत मौर||

खैर खून खांसी खुसी, बैर प्रीत मदपान|
रहिमन दाबे ना दबैं, जानत सकल जहान||

चाह गई चिंता मिति, मनुआ बेपरवाह|
जिनको कछु न चाहिए, वे शाहन के शाह||

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