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नई रचनाएं

शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

सुरेश चन्द्र 'सर्वहारा' के दोहे

सुरेशचन्द्र 'सर्वहारा' के दोहे बेटे थे परदेश में, करता कौन तलाश। रही तीन दिन बाप की, घर में सड़ती लाश।। पुरुष श्रेष्ठता का भरा, ...
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रविवार, 28 जनवरी 2024

रूपेश धनगर के दोहे

रिश्तों में ऐसी खिंची , गहरी एक लकीर। बेटे को दिखती नहीं , बूढ़ी माँ की पीर।। आया था बहुरूपिया , दिया न हमने ध्यान। चला गया है बाँटकर , अ...
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मंगलवार, 14 नवंबर 2023

डॉ. मधु प्रधान के दोहे

डॉ. मधु प्रधान के दोहे दो रंगी हैं नीतियाँ, दो रंगे हैं भाव। होठों पर मीठे वचन, मन में भरा दुराव।। मिली चाँद को चाँदनी, मोती को मृदु आब। कौन...
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बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

अनिरुद्ध प्रसाद विमल के दोहे

अनिरुद्ध प्रसाद विमल के दोहे लिख-लिख कर हम मर गये, मनपांखी बेचैन। समय कहो, हम क्या करें, कब आयेगा चैन।। बहुत विवश हो कर रहा, समय आज आह्वा...
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